अब मैं नहीं (I dont exist)

ओ मेरे प्रिय, अब कहाँ, क्या ढूँढ़ूढूँढ़ने के लिए कुछ शेष नहीं अब किसे पाने की इच्छा करूँ तुझे पाने के बाद कुछ पाने के लिए शेष नहींओ मेरे प्रीत!अभी …

Guru-God

‘स्वयं’ रूप आपने दिखलायो, बंद नेत्र आपकूँ ही पायो।खुले जूँ ये तो मन हर्षायो, गुरु-ईश्वर में कछु भेद न पायो।। मैं तो माटी लोथड़ा, कछु ना जाको मोल।गुरु छूअत बनी …

भगवान कार्तिकेय की परम इच्छानुसार संत सुंदर जी द्वारा रचित कल्याणकारी ‘स्कंद कवच’

‘स्कंद कवच’ ‘स्कंद’ ही कवच है ‘स्कंद’ ही रक्षा है ‘स्कंद’ परमेश्वरा ‘स्कंद’ ही कैलाश है ‘स्कंद’ नेत्रों की मणि ‘स्कंद’ नासिका प्राण है ‘स्कंद’ जिह्वा अमृतपान ‘स्कंद’ ही श्रोत्र …

‘भगवतीगीता’

दसों दिशाएँ हुईं प्रकाशित, वायु बहने लगी सुगंधितजन्मी कन्या दिव्यस्वरूपा, पिता हिमालय मैना माताफल पाया यह घोर तपस का, तेजस करोड़ों सूर्य समान साअष्टभुजाएँ, त्रिनेत्र, विशालाक्षी, मस्तक अर्धचंद्रमा धात्रीदेख विराट …

गुरु

गुरु🙏 मां-बाप ने जीवन दिया गुरु ने जीवन ‘रस’ दिया मन में उलझे उलझनो को वचन प्रताप से मिटा दिया याचना मात्र से ही गुरु ने ज्ञान रुपी अनमोल संपत्ति …